खरपतवार नियंत्रण-
खरीफ के मौसम मे खरपतवारो की अधिक समस्या होती है, जो फसल से पोषण, जल एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते है जिसके कारण उपज मे 40-50 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। मक्का की अच्छी उपज के लिए बुवाई के 30 दिनो तक खेत को खरपतवारो से मुक्त रखना चाहिये। बरसात के दिनो मे निराई-गुडाई के लिये समय कम मिल पाता है, और निराई-गुडाई कई बार करनी पडती है। ऐसे मे खरपतवारनाशाी दवाओ का प्रयोग लाभदायक रहता है।
मक्का मे खरपतवार नियंत्रण के लिए बौनी के बाद एवं फसल के अंकुरण से पूर्व एट्राजिन 1.0 किग्रा सक्रिय तत्व (व्यापारिक मात्रा 2.0 किग्रा/है.) को 600 लीटर पानी मे धोलकर प्रति हैक्टयर की दर से छिडकाव करने पर चैडी पत्ती के खरपतवार का प्रभावी ढंग से नियंत्रण हो जाता है। अंतराशस्य फसल लेने पर एट्राजिन का प्रयोग न कर 1.0 किग्रा पेण्डीमिथेलीन सक्रिय तत्व (व्यापारिक मात्रा 3.25 लीटर/है.) को 600 लीटर पानी मे घोलकर खेत मे अंकुरण पूर्व छिडके। मृदा सतह पर छिडकाव के समय नमी का होना अत्यन्त आवश्यक है। छिडकाव करने वाले व्यक्ति को छिडकाव करते समय आगे की बजाय पिछे की तरफ बढना चाहिए ताकि मृदा पर बनी एट्राजिन की परत ज्यो की त्यो रहे। इसके अलावा बोने के 15 से 20 दिन बाद डोरा चलाकर निंदाई करनी चाहिए एवं लगभग 30 दिन बाद हल चलाकर मिट्टी चढाना चाहिए। इससे भूमि मे वायु संचार अच्छा होता है तथा बचे हुए खरपतवार भी जड सहित खत्म हो जाते है।