मुंगफली की उन्नत उत्पादन तकनीक
मुंगफली भारत की प्रमुख तेल वाली फसल है। क्षैत्रफल के अनुसार मुंगफली की खेती मे भारत का विश्व मे प्रथम स्थान है, लेकिन उत्पादन मे भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। झाबुआ जिले मे मुंगफली लगभग 7900 हेक्टयर मे बोई जाती है। जिले के 3 विकास खण्डो रामा, राणापुर एवं झाबुआ मे मुंगफली प्रमुखता से बोई जाती है।
भूमि का चुनाव एवं तैयारी-
मुंगफली फसल के लिए रेतीली दोमट मिट्टी जिसका जल निकास अच्छा हो उपयुक्त रहती है। मुंगफली बोने के लिये खेत की अच्छी तैयारी करे। तीन साल के अंतराल मे एक बार गर्मी मे गहरी जुताई अवष्य करे तथा इसके बाद दो बार देशी हल या कल्टीवेटर चलाये तथा बाद मे बखर चलाकर पाटा चलाना चाहिये जिससे जमीन अच्छी भुरभुरी बन जाये। आखरी बखरनी के समय ही 20-25 टन अच्छी सडी हुई गोबर की खाद का प्रयोग अवश्य करना चाहिए क्योकि यह फसल जमीन के अंदर लगती है इसलिये जमीन जितनी ढीली तथा भुरभुरी होगी उतनी ही ज्यादा फलियां बनेगी एवं फलियो का विकास अच्छी तरह होगा तथा कुल मिलाकर मुंगफली का उत्पादन एवं उत्पादकता दोनो ही बढेगी।
किस्म | तेल की मात्रा | उपज (क्वि./है.) | विशेषताए |
जे.जी.एन.- 23 | 49 | 16 | सूखा सहनशील, शीध्र पकने वाली, खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त |
ए.के. 159 | 51 | 16 | शीध्र पकने वाली(105-110 दिन), खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त |
जी.जी. 8 | 46 | 17 | काॅलर राॅट, एवं तना गलन के प्रति सहनशील, |
टी.जी. 37 | 48 | 19 | रस्ट एवं लीफ स्पोट के प्रति सहनशील, खरीफ एवं रबी के लिए उपयुक्त |
मल्लिका | 48 | 26 | काॅलर राॅट के प्रति सहनशील, मोटा बीज , खरीफ के लिए उपयुक्त |