नर्सरी मे बुवाई हेतु 1ग् 3मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर इनको फोर्मेलिन गैस (फोर्मेल्डिहाइड द्वारा) स्टेरीलाइजेशन कर ले अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावे। तत्पश्चात बीजो को बीज को 2 ग्राम थाइरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5से.मी. की दूरी रखते हुये कतारो मे बीजो की बुवाई कर दे। बीज बोने के बाद इसको अच्छी सडी हुई गोबर की खाद या मिट्टी और छनी हुई खाद से ढक देते है और बोने के तुरन्त बाद हजारे से छिडकाव करते है। बीज अधिक बोने से एवं पानी अत्यधिक भरकर देने से नर्सरी अवस्था के समय पौधो मे पौध व जड गलन रोग हो जाता है जो तेजी से फैलकर सम्पूर्ण नर्सरी को नष्ट कर देता है । बीज उगने के बाद डायथेन एम-45 या मेटालाक्सिल (0.25 प्रतिशत) घोल का छिडकाव 8-10दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
25 से 30 दिन का रोपा खेता मे रोपाई के लिए तैयार हो जाता है। पौध की रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिाजिम फफूंदनाशाी के 0.2 प्रतिशत धोल मे या ट्राईटोडर्मा की 200 ग्राम मात्रा 10 लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट के लिए घोल में उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें। इस प्रकार तैयार पौध को उचित खेत मे 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुये 60 से.मी के फासले पर पौधो की रोपाई करे। यह कार्य शाम के समय करे व हल्का पानी देवे।