बीजोपचार-
फसल को बीमारी से बचाने और अच्छे अंकुरण के लिये बीजो को बीजोपचार कर बोना आवश्यक है। स्वस्थ और मोटी मूंगफली को बीजाई से 15 दिन पहले छील ले। बीमारी रहित गिरियो को बोने से पूर्व 2.0 ग्राम थाइरम तथा 1.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम की दर से या ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करना चाहिए। बुवाई के पूर्व राइजोबियम एवं फास्फोरस धोलक जीवाणु (पी.एस.बी.) से 10 ग्राम/किग्रा बीज के मान से उपचार करे। बीजोपचार के बाद बीजो को छाया मे सुखाना चाहिए।
राइजोबियम द्वारा बीजो को उपचारित करने से पौधो की जडो मे छोटी छोटी गांठे बन जाती है जो वायुमंण्डल की नाइटोजन को एकत्र कर पौधो को देती है। फास्फोरस पौधे एवं जड की बढवार हेतु महत्वपूर्ण तत्व है। मृदा मे कृत्रिम रूप से दी गई फास्फोरस का मात्र 25-30 प्रतिशत भाग ही पौधे ग्रहण कर पातेे है। शेष भाग मृदा मे अधुलनशील अवस्था मे पडा रहता है। इसके प्रयोग से अधुलनशील फास्फोरस को धुलनशील बनाकर फसल को उपलब्ध कराने की क्षमता होती है। इसका प्रयोग बीज उपचार पौध जड उपचार या मृदा उपचार के रूप मे किया जाता है। जैव उर्वरको से उपचार करने से मूंगफली मे 15-20 प्रतिशत की उपज मे बढोतरी की जा सकती है।