खेत की तैयारी –
पहले फसल के बचे हुए अवषेष जला डालें दो बार गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी मे जन्में
रोग जन्तु कीट और खरपतवार नष्ट हो जावें ।
बुवाई विधि –
हर स्थान पर 2 बीज डालें अंकुरण के बाद एक मजबूत पौंधा लगा रहने दें । कमजोर पौंधो को निकाल दें । जी.ई.सी उत्पत्ति मूलक इंजीनियरिंग मान्यता समिति के द्वारा पर्यायवरण सुरक्षा कानून के अधीन दी गई शर्तो के अनुसार और उसके अन्तर्गत बनाये गये परिणामों के आधार पर कपास को खेत के बीच रोपना चाहिये । एक एकड़ आर.सी.एच.- बी.टी.-2 कपास को घेरते हुए गैर बोलगार्ड कपास की (आक्रय वेल्ट) के रूप में एक पौंधो की पांच कतारे लगनी चाहिए । आकय वेल्ट के आकार के लिए बोलगार्ड कपास बीज कम से कम 5 कतारो अथवा कुल बोयी गयी जगह की 20 प्रतिशत जगह में जो भी ज्यादा हो लगाये । रोपाई मे पहिले किसी भी हालत में आर.सी. एच. - 2 बीज - 2 कपास के बीजो को नही मिलाना चाहिये ।
खाली जगह की भराई –
एक सप्ताह के भीतर आर.सी.एच. - 2 बी.एच. और गैर बोलगार्ड वाली रिक्त जगह संभावित बीज अनुसार बुवाई कर दें । अगर गैर बोलगार्ड वीजन वोटो उसी तरह से गैर बोलगार्ड वाले खाली खेत की जगह में आर.सी.एच.-बी.टी.-11 कपास न बोये ।
पौंध में अंतर – कतार से कतार 4’ फुट तथा पौंधे से पौंधे 3’ फुट
बरसाती पानी की अवस्था में - कतार से कतार 3 फुट पौंधा से पौंधा 3 फुट