कीट एवं रोग नियंत्रण-
मुंगफली की फसल मे अनेक प्रकार के कीटो द्वारा नुकसान होता है। जिसमे सफेद लट, बिहार रोमिल इल्ली, पत्ती संुरग कीट, माहू व दीमक प्रमुख है। सफेद लट की समस्या वाले क्षेत्रो मे बुवाई के पूर्व फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूराॅन 3 जी 25 किग्रा प्रति हैक्टयर की दर से खेत मे डाले। दीमक के प्रकोप को कम करने के लिए क्लोरोपायरीफाॅस दवा की 4.0 लीटर मात्रा को प्रति हैक्टयर की दर से प्रयोग करे। रस चूसक कीटो (माॅहो, थ्रिप्स व सफेद मक्खी) के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 125 मिली/है. या ऐसीफेट 1.0 किग्रा/है. या एसिटामिप्रिड 125 ग्राम/है या डायमिथोएट 500 मिली/है की दर से 500 लीटर पानी मे धोल बनाकर प्रयोग करे। पत्ती संुरग कीट एवं बिहार रोमिल इल्ली के नियंत्रण हेतु क्यूनाॅलफाॅस 1.5 लीटर/है. की दर से 500 लीटर पानी मे धोल बनाकर छिडकाव करे।
फफूॅद जनित बीमारियो मे टिक्का रोग, जड गलन व गुच्छा रोग मुंगफली के प्रमुख रोग है। टिक्का रोग की रोकथाम के लिए उपचारित बीज (3 ग्राम थायराम प्रति किग्रा की दर से) बोना चाहिए, फिर भी अगर रोग दिखाई पडे तो डाइथेन एम 45 के 0.25 प्रतिशत धोल का छिडकाव करना चाहिये, जो 15-15 दिन बाद 2-3 बार करे।