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FARMER SECTION

Tuesday, September 11, 2018

टमाटर- बुवाई / रोपाई


टमाटर की उन्नत उत्पादन तकनीक




          सब्जियो मे टमाटर का प्रमुख स्थान है। आलू के बाद विश्व मे उगाई जाने वाली सब्जियो मे टमाटर का सर्वाधिक क्षैत्रफल है। टमाटर को सब्जियो का बादशाह भी कहा जाता है क्योकि बिना इसके सब्जियो का स्वाद अधूरा रहता है। गुणवत्ता की दृष्टि से भी यह संरक्षित भोज्य (प्रोटेक्टिव फूड) माना गया है। इसलिए इसका उपयोग धर-धर मे सलाद, चटनी सॅास, केचप, सूप, प्यूरी तथा कई अन्य रूपो मे किया जाता है। टमाटर मे कई औषधीय गुण भी पाये जाते है। टमाटर मे विटामिन ए , विटामिन सी, पौटेशियम, कैल्शियम, लोह तथा अन्य खनिज तत्व प्रचूर मात्रा मे पाये जाते है। इसमे एन्टीआॅक्सीडेन्ट, लाइकोपिन आदि भी पाये जाते है। फलो का रस तथा गूदा सुपाच्य, क्षुधावर्धक तथा रक्त को साफ करने वाला होता है।
मध्यप्रदेश मे टमाटर की खेती 62, 589हैक्टयर क्षैत्र मे की जा रही है एवं मुख्यतया जबलपुर, छिंदवाडा, सागर, सतना, रतलाम, धार, झाबुआ बैतुल एवं कटनी जिलो मे टमाटर की खेती हो रही है। अभी राज्य की  औसत उत्पादकता देश की औसत उत्पादकता से काफी कम है। औसत उपज बढाने मे मध्यप्रदेश मे अभी काफी गुजाईश हैं। इसके लिए सही खेत की तैयारी, उन्नत संकर बीज का उपयोग, बीज उपचार, समय पर बुवाई, निर्धारित पौध संख्या, कीट और बीमारी का समयानुसार नियन्त्रण, सही समय और निर्धारित मात्रा मे उर्वरको का उपयोग, समयानुसार सिंचाई और कटाई आदि औसत उपज बढाने मे विशष भूमिका अदा करते है। उन्नत उत्पादन तकनीकी के साथ साथ संकर बीजो का प्रयोग किया जाये तो टमाटर की  उत्पादकता काफी बढाई जा सकती है।

जलवायु -
        टमाटर गर्मी के मौसम की फसल है और पाला नहीं सहन कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18 . से 27 डिग्री से.ग्रे. है। तापक्रम का फलो की संख्या, खट्टापन, रंग तथा पौष्टिकता पर काफी प्रभाव पडता है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही सब कारणो से सर्दियो मे फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। तापमान 38डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है।

भूमि-
टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम होती है । साधारणतया इसकी खेती 6.5-7.5 पी.एच. मान वाली मृदा मे अच्छी होती है ।



बीज की मात्रा और बुवाई-


बीजदर-एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा  150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है। बुवाई-उत्तरी भारत के मैदानों में टमाटर फसल एक साल में दो बार ली जा सकती है। बुवाई का समय वर्षा ऋतु के लिये जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिये नवम्बर-दिसम्बर श्रेष्ठ है। फसल पाले रहित क्षैत्रों में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिएं। बुवाई पूर्व थाइरम /मेटालाक्सिल से बीजोपचार करे ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।

 नर्सरी एवं रोपाई-
नर्सरी मे बुवाई हेतु 1ग् 3मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर इनको फोर्मेलिन गैस (फोर्मेल्डिहाइड द्वारा) स्टेरीलाइजेशन कर ले अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावे। तत्पश्चात बीजो को बीज को 2 ग्राम थाइरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5से.मी. की दूरी रखते हुये कतारो मे बीजो की बुवाई कर दे। बीज बोने के बाद इसको अच्छी सडी हुई गोबर की खाद या मिट्टी और छनी हुई खाद से ढक देते है और बोने के तुरन्त बाद हजारे से छिडकाव करते है। बीज अधिक बोने से एवं पानी अत्यधिक भरकर देने से नर्सरी अवस्था के समय पौधो मे पौध व जड गलन रोग हो जाता है जो तेजी से फैलकर सम्पूर्ण नर्सरी को नष्ट कर देता है । बीज उगने के बाद डायथेन एम-45 या मेटालाक्सिल (0.25 प्रतिशत) घोल का छिडकाव 8-10दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
   
25 से 30 दिन का रोपा खेता मे रोपाई के लिए तैयार हो जाता है। पौध की रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिाजिम फफूंदनाशाी के 0.2 प्रतिशत धोल मे  या ट्राईटोडर्मा की 200 ग्राम मात्रा 10 लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों को 20-25  मिनट के लिए घोल में उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें। इस प्रकार तैयार पौध को उचित खेत मे 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुये 60 से.मी के फासले पर पौधो की रोपाई करे। यह कार्य शाम के समय करे व हल्का पानी देवे।

      यदि संभव हो तो टमाटर की रोपाई करते समय मेंड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें । इसके लिए टमाटर की नर्सरी से लगभग 15दिन पहले गंेदा की नर्सरी डालें। क्योकि गेंदा की नर्सरी तैयार होने मे  लगभग 40 दिन लगते है। जबकि टमाटर की नर्सरी 25 दिनों में तैयार हो जाती है। इस प्रकार लगभग 40 दिन पुराना गेंदा तथा 25दिन पुराने टमाटर की पौध की रोपाई एक साथ करने से दोनों फसलो में एक ही साथ फूल खिलतें है। फूल खिलने की अवस्था से ही टमाटर की फसल में फल बेदक कीट अंडा देना षुरू करते है। इस अवस्था में यदि गेंदे में फुल खिला रहा हो तो फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियेां/ फूलों में अधिक अंडा देते है। इस प्रकार टमाटर की फसल को फल भेदक कीट से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

 

KVK Alirajpur



Alirajpur is one of the 53 districts of Madhya Pradesh state in India. It was created from Alirajpur, Jobat and Bhabra tehsils of the former Jhabua district on 17 May 2008. It is the least literate district in India as per Census 2011. Alirajpur is the administrative headquarters of the district. The district occupies an area of 2,165.24 square kilometres (836.00 sq mi).
    in the past Alirajpur District, was a princely state under Bhopawar Agency. It is located in the Malwa region of Madhya Pradesh near the border with Gujarat and Maharashtra. It has an area of 836 square meters. This district is completely mountainous, and most of the population here is tribal and Bhil population. Area wise, Alirajpur district is larger than Jhabua district, in the year 2008, it was declared a new district by the Chief Minister Alirajpur is a city where most of the residents living depend on farming. Its economy depends primarily on agricultural efforts. If it comes to agricultural trade, when Alirajpur this business is the largest in all the states.The dolomite stone in the district is very high. These stones are extracted from the mines. These stone grinding factories are also present. Water Resources is the largest river Narmada in Alirajpur district. Narmada river originates in Shahdol district of Madhya Pradesh.

ABOUT KVK ALIRAJPUR

Krishi Vigyan Kendra, Alirajpur established for on farm testing to identify the location specificity of technologies in various farming systems.. KVK Alirajpur is working under Jurisdiction of RVSKVV, Gwalior, which is situated at Khandw – Indore Road 5 KM away from district head quarters. KVK Alirajpur is working for Socio-economic up-liftment of the farmers within district through improved scientific agricultural technological intervention.

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