आई. पी. एम. (समेकित कीट प्रबंधन) –
नीचे बनाई गई समेकित प्रक्रियाओं को करने की सिफारिष की जाती है ।
(1) गर्मी में गहरी जुताई एवं जल निकास की व्यवस्था रखें ।
(2) बीज उपचार चूसक कीटो के नुकसान से बचने के लिए करें
चूसक कीटो का नियंत्रण -
यदि फसलों की बढ़वार के समय किसी भी चरण में चूसक कीटो का हमला आर्थिक दहलीज के स्तर को पार कर दें, तो नीचे बताये गये कीटनाषक का छिड़काव तालिका अनुसार करें ।
01 हरा तेला प्रति पत्ते पर 1 - 2 डिम्ब या व्यस्क
02 सफेद मक्खी प्रति पत्ते पर 8 - 10 डिम्ब या व्यस्क
03 चेपा माहू या लाही 10 प्रतिशत पौधो पर हमला
04 चुरदे 10 डिम्बक कीट या व्यस्क / पत्ता
05 चीलर या माइट हर पत्ते पर 10 व्यस्क या 20 डिम्बक कुटभी दिखने पर
सुण्डी एवं स्पोडोप्टेरा की रोकथाम -
(1) चैकमी नियमित ई.टी.एल लेवल पर स्प्रे करना ।
(2) सुबह - शाम सप्ताह में 2 बार चैकसी करना ।
(3) एक एकड़ खेत में कम से कम 20 पौंधो का चयन करें और चैकसी करें ।
(4) इन चुनिंदा पौधो पर जीवित लार्वा सुण्डी की गिनती करें ।
(5) अगर 20 पौंधो पर 20 या उससे अधिक लार्वा मिल जाते है, तो सिफारिष अनुसार स्प्रे करना आवष्यक है।
अन्य समेकित कीट प्रब्रबंध्ंधन के तरीके –
जैसे जाल अवरोध फसलें, फेरोमेन ट्रेप / रोषनी जल, पक्षियो को बसेरे, नैसर्गिक दुष्मन पक्षियो को जैविक युक्तगत कीटनाषक एच.ए. एन.पी.व्ही. नीम आदि आई.पी.एम. तरीको से कपास
की खेती में इस्तेमाल कर सकते है । एक ही श्रेणी के कीटनाषको को बार - बार इस्तेमाल न करें । सुलगा रोग में पानी निकासी करें, उसके बाद अन्र्तप्रवाही फफूंदनाषी का छिड़काव करें ।