कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार, किसानों के लाभार्थ विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन अपने संस्थानों/ संगठनों और राज्य सरकारों के माध्यम से करता है। इसमें प्रकाशित की गई विभिन्न स्कीमों से संबंधित निर्देशों, परिपत्रों और अनुदेशों से इन स्कीमों के अंतर्गत प्रोत्साहित विभिन्न घटकों के लाभों के प्रकार और उनकी सीमा के बारे में आवश्यक जानकारी उपलब्ध होती है।
कृषक जगत द्वारा शृंखलाबद्ध रूप से किसानों को जानकारी दी जाएगी और क्षेत्र विस्तार कर्मियों, गैर सरकारी संगठनों एवं कृषि विकास कार्य में लगे हुए तथा नीति निर्माताओं के लिए एक रेडी रेकनर के रूप में उपयोगी होगी। इसमें विभिन्न स्कीमों/ कार्यक्रमों से संबंधित सूचना कृषि क्षेत्र के लोग उचित समय पर प्राप्त कर पाएंगे।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भूमि संरक्षण एवं सूक्ष्म पोषक तत्व
क्या करें ?
- मिट्टी की जांच के आधार पर हमेशा उचित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करें।
- मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें।
- उर्वरकों का पूर्ण लाभ पाने हेतु उर्वरक को छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें।
- फास्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करें ताकि जड़ों/ तनों का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पके, विशेष रूप से फलीदार फसलें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करती है।
- सहभागी जैविक गारन्टी व्यवस्था (पी.जी.एस. इंडिया) प्रमाणीकरण अपनाने के इच्छुक किसान अपने आस-पास के गांव में कम से कम पांच किसानों का एक समूह बनाकर इसका पंजीकरण निकटतम जैविक खेती के क्षेत्रीय केन्द्र में करायें।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड : मृदा स्वास्थ्य कार्ड, 19 फरवरी 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत शुरू हुई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड सभी जोत धारकों को हर दो वर्ष के अंतराल के बाद दिये जाएंगे ताकि वे फसल पैदावार लेने के लिए सिफारिश किए गए पोषक तत्व डालें ताकि मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो और भूमि की ऊपजाऊ शक्ति भी बढ़े।