- खरपतवार भोजन एवं प्रकाश के लिए मुख्य फसल से प्रतिस्पर्धा करते हैं अत: फसल के लिए खेत में डाले गए उर्वरक व जल की पूर्ण मात्र फसल के काम नहीं आती है।
- खरपतवार कीट एवं रोग कारक जीवाणुओं को शरण, भोजन तथा स्थान प्रदान करते हैं अर्थात् इन सभी फसल के शत्रुओं के लिए परपोषी होते हैं, अत: परोक्ष रूप से फसल उत्पादन को सीमित करते हैं।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए मशीन एवं मजदूर आदि की व्यवस्था व उपयोग से उत्पादन लागत में वृद्धि होती है, जिससे खेती में लाभांश घटता है।
- खरपतवार कटाई में बाधा डालते हैं तथा कटाई और गहाई व्यय को बढ़ाते हैं। मुख्य फसल उपज में खरपतवारों के बीज होने से उत्पादित बीज एवं उपज की गुणवत्ता घट जाती है, जिससे किसान को अपेक्षाकृत कम आय मिलती है।
- जलीय-खरपतवार सिंचाई व्यवस्था को अवरूद्ध करते हैं, जिससे सिंचाई उपभोग क्षमता घटती है एवं उत्पादन व्यय बढ़ता है।
खरपतवारों की रोकथाम से न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है, बल्कि उसमें निहित प्रोटीन व अन्य लाभकारी तत्व एवं फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है। प्राय: निंदाई करके इन्हें निकाल दिया जाता है। फसलों की निंदाई के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ यांत्रिक उपकरणों का विवरण दिया गया है-
ड्राईलैंड पेग वीडर
ड्राईलैंड वीडर (हुक टाईप) एक ऐसा हस्तचालित यंत्र है जो फसल की पंक्तियों के बीच खरपतवार को नष्ट करता है। इसमें एक रोलर होता है जिसमें लोहे की रॉड द्वारा फिट की गई दो डिस्क लगी होती है। रॉड पर छोटे समचतुर्भुज आकार के हुक कंपित (स्टेगर्ड) प्रकार से जुडे होते हंै। पूरी रोलर असेम्बली नरम लोहे से निर्मित होती है। रोलर असेम्बली के पीछे हैंडल के रॉड (भुजाएँ) पर ‘वी’आकारीय ब्लेड लगे होते है। कार्य की गहराई के अनुसार ब्लेड की ऊंचाई व्यवस्थित की जा सकती है। मशीन की भुजाएँ हैंडल के साथ जुड़ी होती है, जो पतले मजबूत पाईप से बनी होती है। हैंडल की ऊंचाई भी चालक की आवश्यकतानुसार व्यवस्थित की जा सकती है। इस यंत्र को खरपतवार हटाने के लिए फसलों की पंक्तियों मे खड़ी हुई स्थिति में बार-बार धकेलने एवं खींचने की प्रक्रिया द्वारा चालित किया जाता है। समचतुर्भुजी आकारी हुक मिट्टी में गड़ाकर घुुमाव प्रक्रिया द्वारा मिट्टी को बारीक करते है। दबाने की स्थिति मे ब्लेड जमीन में घुसकर खरपतवार की जड़ों को काट देते हैं। इसका प्रयोग सब्जी, फलों के बागों मे तथा अंगूर उद्यानों मे खरपतवार हटाने के लिए किया जाता है। यह भूमि की सख्त मिट्टी की परत को तोड़कर उसे उपजाऊ बनाने में भी सहायक है। इसकी कार्य क्षमता लगभग 0.05 हेक्टेयर प्रतिदिन होती है।
व्हील हैंड हो
‘व्हील हैंड हो’ एक व्यापक रूप में स्वीकार किया गया खरपतवार नियंत्रण का यंत्र है जो फसल की पंक्तियों के मध्य खरपतवार नियंत्रण हेतु उपयोग किया जाता है। यह एक लंबे हैंडल का यंत्र है जो आगे-पीछे धकेलने एवं खींचने की प्रक्रिया द्वारा चालित होता है। पहियों की संख्या एक या दो हो सकती है और पहियों का व्यास इसके डिजाईन के अनुसार होता है। इस यंत्र के फ्रेम में विभिन्न प्रकार की मिट्टी मे कार्य करने वाले पुर्जे जैसे: सीधे ब्लेड, प्रतिवर्ती ब्लेड, स्वीप, भी-ब्लेड, टाईन कल्टीवेटर, आयामी कुदाल, लघु आकारीय फरोअर, स्पाईक हैरो (रेक) आदि लगाने हेतु प्रावधान होता है। यह यंत्र अकेले व्यक्ति द्वारा चालित होता है। इस औजार के सभी मिट्टी में कार्य करने वाले पुर्जे मध्यम कार्बन स्टील के बने होते हैं जो 40-45 एच.आर.सी. तक कठोर किए होते है। मशीन के संचालन एवं कार्य की गहराई के लिए हैंडल की ऊंचाई को व्यवस्थित किया जाता है और व्हील को बार बार धकेलने एवं खींचने की प्रक्रिया द्वारा चालित किया जाता है जिससे मिट्टी में कार्य करने वाले पुर्जे फसलों की पंक्तियों की जमीन में धँसकर खरपतवार को कांटते या जड़ से उखाड़ते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा घास भी कटकर मिट्टी में दब जाती है। इसका प्रयोग पंक्तियुक्त सब्जी फसलों में तथा अन्य फसलों में निराई एवं खरपतवार हटाने के लिए किया जाता है।
खरपतवार ऐसे पौधों एवं वनस्पतियों को कहा जाता है जो बिना चाहे खेत में फसल के साथ उगते हैं तथा जो मुख्य फसल के संदर्भ में अवांछित होते हैं। शायद दूसरे स्थान पर इनका खाद्य एवं दवा के रूप में कुछ जगह पर महत्व हो, परन्तु ऐसे पौधे फसल के बीच में होने से उपज पर प्रतिकूल प्रभाव और अन्य कृषि क्रियाओं में बाधा डालते हैं। खरपतवार बिना चाहे बहुप्रजानिक, प्रतिस्पर्धी, कभी-कभी जहरीले तथा पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं। यह खेत में सामान्य भूपरिष्करण के बाद फसल के साथ ही उगते रहते हैं। ऐसे कुछ पौधे उसी फसल के पूर्वज भी हो सकते हैं, जैसे-मध्य भारत में ओराइजा निवारा नामक जंगली प्रजाति के पौधे। खरपतवार द्वारा फसलों के विकास एवं वृद्धि में बाधा होती है, परिणाम स्वरूप उपज में गिरावट आती है। अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के अनुमान से खरपतवार नियंत्रण न होने से यह गिरावट खेती की विभिन्न दशाओं में 44 से 66 प्रतिशत तक आंकी गई है। खरपतवार निम्न प्रकार से फसलों के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं।
कोनो वीडर
इस यंत्र में दो रोटर, फ्लोट, फ्रेम और हैंडल लगे होते है। रोटर त्रिशंकु आकार के होते हैं एवं इसकी सतह पर लंबाई मे चौरस दाँतेदार स्ट्रिप्स जुड़ी होती है। रोटर विपरीत अनुकूलनिय आगे-पीछे क्रम में लगे होते है। फ्लोट, रोटर और हैंडल फ्रेम के साथ जुड़े होते हैं। फ्लोट कार्य की गहराई को नियंत्रित करते हंै तथा रोटर असेंबली को पोखर मिट्टी में धसने नहीं देते। कोनो वीडर दबाव प्रक्रिया से चालित किया जाता है। रोटर के अभिविन्यास मिट्टी के शीर्ष 3 से.मी. मे आगे पीछे संचालन करते है जिससे खरपतवार को जड़ से उखाडऩे मे मदद मिलती है। कोनो वीडर का प्रयोग पंक्तियुक्त धान की फसल में कुशलतापूर्वक खरपतवार हटाने के लिए किया जाता है। यह आसानी से चलाया जा सकता है तथा यह पोखर मिट्टी मे नहीं धँसता। इस यंत्र की कार्य क्षमता लगभग 0.18 हेक्टेयर प्रतिदिन है।
स्वचालित रोटरी पावर वीडर
वीडर एक डीजल इंजन चालित यंत्र है। इंजन की पावर वी बेल्टदृपुली के द्वारा ग्राउंड व्हील को प्रेषित की जाती है। गहराई बनाए रखने के लिए इस यंत्र में पीछे एक पहिया लगाया गया है। रोटरी वीडींग अटेचमेंट द्वारा खरपतवार नष्ट करने की प्रक्रिया की जाती है। रोटरी वीडर की विभिन्न पंक्तियों में प्रत्येक डिस्क पर एक-दूसरे की विपरीत दिशा में घुमावदार ब्लेड लगे होते हैं। इन ब्लेड के घूमने से मिट्टी एवं घास आदि कटकर मिश्रित हो जाते हैं। रोटरी टिलर की 400 मि.मी. चौड़ाई में कार्य करने की क्षमता होती है तथा फसल क्षेत्र में मिट्टी एवं घास आदि को काटकर मिश्रित करने अथवा खरपतवार नष्ट करने हेतु गहराई आवश्यकतानुसार निर्धारित की जा सकती है। इस यंत्र का प्रयोग गन्ना, मक्का, कपास, टमाटर, बैंगन और दलहन जैसी फसलें जिनमें पंक्तियों की बीच की दूरी 450 मि.मी. से ज्यादा है, में खरपतवार नियंत्रण हेतु किया जाता है। स्वीप ब्लेड, रिजर एवं ट्रॉली जैसे अटेचमेंट भी इस यंत्र के साथ लगाए जा सकते है। कार्य क्षमता 0.1-0.12 हे. प्रति घंटा है एवं इसकी कीमत रु. 60000 से रु. 80000 के बीच है।
पावर टिलर स्वीप टाईन कल्टीवेटर
यह यंत्र विशेषत: 5-8 हॉर्स पावर (4.5 से 6.0 किलो वॉट) के पावर टिलर से चलाने के लिए तैयार किया गया है तथा मुख्यत: खड़ी फसल जैसे सोयाबीन, ज्वार, मक्का काला चना, मटर इत्यादि जहाँ पंक्ति का अंतर चौड़ा होता है तथा पावर टिलर पौधों को बिना नुकसान पहुंचाये चलाया जा सकता है। खरपतवार नियंत्रण बहुत आसानी से किया जा सकता है। इसमे पीछे की तरफ एक गहराई नियंत्रक पहिया लगा होता है जो कार्य की एक समान गहराई को बनाए रखता है। यह मध्यम तथा हल्की मिट्टी के लिए उपयोगी है। हीच सिस्टम सहित मेन फ्रेम, हैंडल, ड्राइव व्हील तथा टाईन इत्यादि इसके मुख्य घटक है। इस यन्त्र की संचालन गति 1.8-2.5 कि./घण्टा, ईंधन खपत 0.7-1.0 ली./घण्टा तथा क्षेत्र क्षमता 0.18 – 0.25 हेकटेयर प्रति घंटा है।